नीतीश कुमार ने मजदूरों को दी बड़ी सौगात — बिहार सरकार ने 802 करोड़ रुपये खातों में भेजे, हर मजदूर को मिला ₹5000

✍️रिपोर्ट: कृष्ण कुमार (संपादक एवं प्रमुख)

बिहार सरकार की बड़ी राहत - 802 करोड़ का आंकड़ा मिला

बिहार से एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। राज्य सरकार ने 16 लाख से अधिक पंजीकृत पंजीकृत किरायेदारों के बैंक खाते में कुल ₹802 करोड़ की राशि दर्ज की है। यह राइस बिहार श्रम संसाधन विभाग के निर्देशन में डायरेक्ट बेनिट पोस्ट (डीबीटी) के माध्यम से जारी किया गया है।



इस योजना के तहत हर श्रमिक को उसके बैंक खाते में ₹5000 की सीधी आर्थिक सहायता दी जाती है। सरकार का कहना है कि इस कदम से केवल वित्तीय सहायता से आर्थिक राहत नहीं मिलेगी, बल्कि उनकी वित्तीय सहायता से क्षेत्रीय और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दी योजना की जानकारी

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजधानी पटना में एक समारोह का आयोजन कर इस योजना की शुरुआत की. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि:

"बिहार के श्रमिक राज्य के उद्योग के प्रतिनिधि हैं। उनके बिना विकास की कल्पना भी संभव नहीं है। सरकार की जिम्मेदारी है कि श्रमिकों को आर्थिक सुरक्षा मिले और श्रमिकों को जीवन दिया जाए। ₹5000 की यह उनके परिवार को राहत दे और उन्हें आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा देने में मदद करे।"

उन्होंने कहा कि यह केवल आपातकालीन राहत नहीं है, बल्कि एक स्थायी सामाजिक सुरक्षा तंत्र बनाने की दिशा में पहला कदम है।


डीबीटी के माध्यम से प्लॉट

इस योजना में दस्तावेज़ सुनिश्चित करने के लिए सभी भुगतान डीबीटी (डायरेक्ट बेनिट पोस्टर) के माध्यम से जानकारी दी गई है। इसके लिए आधार नंबर और बैंक खाते को श्रम विभाग के पोर्टल से लिंक किया गया है।

  • छात्र-छात्राओं को एसएमएस के माध्यम से सूचित किया गया

  • बैंक बुकिंग की ई-केवैसी वेरियेटेड की गयी

  • ट्रांज़ैक्शन सेंटर की निगरानी में पटना स्थित कंट्रोल रूम की निगरानी की गई

  • जिन चुनौतियों में तकनीकी समस्या आई, आईएमआईएम का गठन किया गया

सरकार का कहना है कि डीबीटी से बिचौलिए और फॉर्मेशन की संभावना पूरी तरह से खत्म हो गई है , जिससे पूरा पैसा सीधे डायरेक्टोरेट तक पहुंच जाता है।


ईसाई धर्म के लिए क्यों दी गई थी राहत

बिहार में बड़ी संख्या में लोग आदिवासी हैं। इनमें निर्मित श्रमिक, खेतिहर श्रमिक, असंगठित क्षेत्र के श्रमिक और श्रमिक श्रमिक शामिल हैं। मुआवज़ा आय अस्थिर है और चार बार पास की बचत या सामाजिक सुरक्षा नहीं है।

ऐसे में ₹5000 की राशि:

  • पूरी तरह से डूबने में मदद

  • अचानक आय बंद हो जाने पर संकट से मुक्ति

  • बच्चों की पढ़ाई, घर का राशन, इलाज जैसी तैसी में राहत देवी

  • ग्रामीण उद्योग में निवेश निवेश संचय


COVID-19 महामारी से मिली सीख

COVID-19 महामारी के दौरान लाखों प्रवासी मछलियां अचानक नौकरी छोड़कर बिहार लौट आई हैं। उस समय सरकार ने राहत सामग्री निकाली थी, लेकिन कई राहतें तब तक मिली जब तक मदद नहीं मिल पाई।

उस अनुभव से सरकार ने बाइबिल को समय पर और आर्थिक मदद देना अत्यंत आवश्यक है । इसी सोच से इस बार सरकार ने पूरी तैयारी और डिजिटल सुविधाओं के साथ राइस पिटर की है।


जीवन में आशा-त्योहारों से पहले मिली बड़ी राहत

इस योजना का लाभ पाने वाले श्रमिक इससे राहत की सांस ले रहे हैं।
अररिया जिले के पंजीकृत मजदूर मनोज कुमार ने कहा:

"हम हर रोज दिहाड़ी पर काम करते हैं। कभी काम होता है, कभी नहीं। ₹5000 मीटिंग से कम से कम घर का राशन भर दिया और बच्चों की फीस भी जमा कर दी।"

वहीं एक महिला श्रमिक श्रमिक रेखा देवी ने बताया कि वह बच्चों के लिए हॉट ड्रेस शोरूम हैं।

हिंदू धर्म में कहा गया है कि जब कठिन समय में सहारा मिलता है तो इसे ईश्वर का आशीर्वाद माना जाता है। आने वाले समय में पूजा और दीपावली जैसे बड़े त्योहार हैं, ऐसे में सरकार की यह मदद समय पर और सीधे मिलने से हमारा सामान भी बढ़ता है।''


अन्य योजनाएं भी साथ चल रही हैं

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह राशि केवल आपातकालीन राहत नहीं है, बल्कि पत्रिका को आत्मनिर्भर बनाने की व्यापक योजना का हिस्सा है। इसके अंतर्गत:

  • विकास कौशल प्रशिक्षण अभ्यर्थियों के माध्यम से वैज्ञानिको को नई तकनीक सिखाई जा रही है

  • स्वास्थ्य बीमा योजना से मरीजों और उनके परिजनों को मुफ्त इलाज की सुविधा दी जा रही है

  • पेंशन योजना से वृद्धजनों को सामाजिक सुरक्षा दी जा रही है

  • श्रमिक आवास से शहरों में काम करने वाले अलॉटमेंट को घर पर सामान उपलब्ध कराया जा रहा है

सरकार का कहना है कि इन लाइसेंसों से वामपंथियों का जीवन अस्त होगा और पलायन कम होगा।


अर्थव्यवस्था को संभावित लाभ

एक के साथ 16 लाख से अधिक जनसंख्या को ₹5000 मिलते हैं से लगभग 802 करोड़ रुपये ग्रामीण और शहरी शहर क्षेत्र में हैं। इसका सीधा प्रभाव अर्थव्यवस्था पर पड़ता है:

  • व्यवसाय में मांग उत्पाद

  • छोटे फर्नीचर और फर्नीचर की बिक्री में वृद्धि होगी

  • परिवहन, निर्माण एवं सेवा क्षेत्र को प्रोत्साहन की स्वीकृति

  • टैक्स और बिजनेस से सरकार की आय भी पोर्टफोलियो

विशेषज्ञ का कहना है कि जब गरीब वर्ग को सीधे नकदी सहायता दी जाती है, तो वे तुरंत स्थानीय अध्ययन पर खर्च कर देते हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तेजी आती है।


चुनौतियाँ भी सामने

हालाँकि यह योजना योजना है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी मौजूद हैं:

  • अभी भी बड़ी संख्या में श्रमिक पंजीकृत नहीं हैं

  • कई ट्रांसफॉर्मेशन में लिंकिंग या निष्क्रियता की समस्या है

  • ग्रामीण इलाकों में डिजिटल मंदिरों की कमी है

  • ऑफिशियल को लाभ एक बड़ा कार्य है

सरकार ने कहा है कि वह पंचायत स्तर पर विशेष पंजीकरण अभियान चलाएगी और सिलेबस की डिजिटल मार्केटिंग के लिए नया पोर्टल विकसित करेगी।


नामांकन की प्रतिक्रिया

नामांकित व्यक्ति ने इस योजना को निवेशकों के लिए आवंटित किया है। उनका कहना है कि यह राशि केवल तत्काल राहत है, स्थायी समाधान नहीं।

हालाँकि, बाइबिल का कहना है कि सरकार की इस पहल से उन्हें भरोसा मिला है कि राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारियों को निभाने से ले रही है।


भविष्य की योजनाएँ

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आगे की बैसाखी के लिए दिए संकेत:

  • रोजगार सृजन कार्यक्रम

  • माइक्रो-क्रेडिट (लघु ऋण) योजना

  • बच्चों की पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति योजना

जैसी नई योजनाएं भी लागू होती हैं। उनका कहना है कि बिहार के विकास को बढ़ावा देने के लिए किसानों से मार्केटिंग की मांग की जाएगी।


निष्कर्ष

बिहार सरकार द्वारा एनोटेशन के नोटों में ₹802 करोड़ की राशि अंकित कर हर श्रमिक को ₹5000 देना , एक ऐतिहासिक और दूरदर्शी कदम माना जा रहा है।

यह योजना केवल लाखों परिवारों को मुक्त राहत दे रही है बल्कि छात्रों के जीवन में स्थिरता, सम्मान और आत्मनिर्भरता की दिशा भी एक बड़ी बेरोजगारी है।

अगर सरकार इसी तरह और समयबद्ध तरीके से कल्याण श्रमिक योजना लागू करती है, तो आने वाले वर्षों में बिहार में न केवल विकास का पलायन कम होगा, बल्कि एक आत्मनिर्भर और मजबूत राज्य के रूप में भी उभरेगा।