बिहार CM की कुर्सी तक कैसे पहुंचे नीतीश कुमार? संघर्ष, राजनीति और सुशासन की पूरी कहानी”

 

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कुर्सी तक कैसे पहुंचे? जानिए उनके संघर्ष और यात्रा की पूरी कहानी

✍️रिपोर्ट- कृष्ण कुमार |

बिहार की राजनीति में जब भी स्थिरता, विकास और सामाजिक न्याय की बात होती है तो एक नाम जरूर आता है- नीतीश कुमार । राजनीति के मैदान में सादगी, रणनीति और जनसेवा के कारण वे आज बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेताओं में शामिल हो गए हैं। लेकिन उनकी ये यात्रा इतनी आसान नहीं थी. किसान परिवार में नीतीश कुमार ने संघर्ष, पढ़ाई, संगठन और जनता के बीच अपना पथ बनाया जहां यह हासिल हुआ।





इस लेख में हमने स्पष्ट किया है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार की कुर्सी किस तरह से पूरे प्रदेश में , किस तरह से गांव-गांव तक बदली और किस तरह से उन्होंने बिहार की राजनीति को नया रूप दिया।


बचपन और शिक्षा: साधारण परिवार से राजनीति तक

नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च 1951 को बिहार के बख्तियारपुर जिले में हुआ। उनके पिता कविराज और माता गृहिणी थीं। बचपन से ही ताज़ा पढ़ाई में तेज थे। उन्होंने रिसर्च कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और फिर बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (अब एनआईटी पटना) से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की।

इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही उनकी राजनीति की ओर रुख बदल गया। लोकनायक नारायण के आंदोलन से प्रभावित नीतीश ने समाजवादियों को अलग कर दिया।


राजनीति में पहला कदम

नीतीश कुमार ने 1974 के जापान आंदोलन में सक्रिय भाग लिया। येशी आंदोलन ने अपनी राजनीतिक अलगाव की नींव रखी। 1985 में वे पहली बार हरनौत विधानसभा सीट से चुनाव जीते।
इसके बाद 1989 में वे आंध्र प्रदेश में जनता दल के टिकट लेकर धीरे-धीरे राष्ट्रीय राजनीति में पहचान बनाने लगे।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  • नीतीश कुमार और विधानसभा दोनों के सदस्य रह चुके हैं।

  • वे रेल मंत्री, कृषि मंत्री, टमाटर मंत्री भी रह चुके हैं।

  • केंद्र में रहते हुए उन्होंने रेल सेवाओं में सुधार किया, जिससे उनकी छवि "सक्षम लग्गु" की बनी रही।


सबसे अलग यादव के साथ और फिर अलग राह

नीतीश कुमार की शुरुआत बौद्ध प्रसाद यादव के करीबी रहे। दोनों जरनाप आंदोलन से निकले नेता थे। लेकिन 1994 में नीतीश ने कम्युनिस्ट पार्टी से लेकर समता पार्टी बना ली।
बिहार की राजनीति से एक नई प्रतिस्पर्धा।
नीतीश ने बीजेपी के साथ मिलकर गठबंधन बनाया और धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीर "सुशासन बाबू" के रूप में कुमार के रूप में पहचान बनाई।


मुख्यमंत्री की कुर्सी तक की यात्रा

नीतीश पहली बार 2000 में बिहार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन 7 दिन बाद ही यह सरकार कुमार चल पड़े।
फिर 2005 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री बहुमत में आये और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए।
इसके बाद 2010, 2015, 2020 तक बिहार की राजनीति में वे कई बार पाला बदला, लेकिन मुख्यमंत्री बने रहे।

मुख्य पर्यवेक्षक:

  • 2005: पहली बार स्थायी मुख्यमंत्री बने।

  • 2010: बड़ी बहुमत से वापसी।

  • 2015: मित्रो के साथ चुनाव जीता।

  • 2017: बीजेपी के साथ फिर से गठबंधन।

  • 2020: सातवीं बार मुख्यमंत्री।


सुशासन बाबू की छवि

नीतीश कुमार को बिहार में "सुशासन बाबू" कहा जाता है।
उनके शासन में सड़क, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार का प्रयास किया गया।
महिला समुदाय के लिए 50% पासपोर्ट योजना, स्कॉलरशिप जैसी उनकी पहचान बनीं।

यूट्यूब की दृष्टि से यह महत्वपूर्ण है कि "बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक कैसे नीतीश कुमार" कीवर्ड में लेख में 5-6 बार चरित्र के रूप में उपयोग किया गया है।


चुनौतियाँ और आलोचनाएँ

नीतीश कुमार के राजनीतिक सफर में कई उतार-चढ़ाव आए।
गठबंधन में बदलाव का कारण उनकी भागीदारी पर सवाल उठाया गया।
हाल ही में युवाओं के लिए 1000 रुपये प्रति माह की स्वयं सहायता राशि जैसी परिसंपत्तियों को लेकर भी वे चर्चा में हैं।


नीतीश कुमार के नेतृत्व की खास बातें

  1. विकास के साथ सामाजिक संतुलन

  2. जातीय गुणधर्म की गहरी समझ

  3. राजनीतिक विश्लेषण

  4. युवाओं और महिलाओं पर फोकस


निष्कर्ष

नीतीश कुमार की मुख्यमंत्री बनने तक की यात्रा यह साबित करती है कि सामान्य पृष्ठभूमि से भी कड़ी मेहनत, रणनीति और जनता के विश्वास के बल पर कदम उठाया जा सकता है।
उनकी कहानी में सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि नेतृत्व, संघर्ष और जनसेवा का मिश्रण है।
बिहार के सीएम की कुर्सी तक पहुंचने वाले नीतीश कुमार आज भी भारतीय राजनीति में एक मजबूत चेहरा हैं।



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✍️रिपोर्ट- कृष्ण कुमार