बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और सियासी पारा अपने चरम पर है। जैसे-जैसे नामांकन की अंतिम तिथि नज़दीक आ रही है, वैसे-वैसे दोनों बड़े गठबंधनों—INDIA और NDA—में सीटों के बँटवारे को लेकर चल रही खींचतान खुलकर सामने आ गई है। इसी बीच, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी करके चुनावी मैदान को और भी रोचक बना दिया है।
1. AIMIM की एंट्री: 'वोट कटवा' या 'किंगमेकर'?
AIMIM ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है, जिसका मुख्य केंद्र बिंदु बिहार का सीमांचल क्षेत्र है।
AIMIM के फ़ैसले का विश्लेषण:
पहलू | विवरण | चुनावी प्रभाव |
फोकस क्षेत्र | मुख्य रूप से किशनगंज, पूर्णिया, अररिया, कटिहार और पूर्वी चंपारण जैसे मुस्लिम बहुल क्षेत्र। | RJD और कांग्रेस (INDIA) के पारंपरिक मुस्लिम-यादव (M-Y) वोट बैंक में सीधा सेंध लगेगी। |
राजनीतिक पहचान | पार्टी स्वयं को मुसलमानों और दलितों के सच्चे प्रतिनिधि के तौर पर पेश कर रही है। | मुस्लिम मतदाताओं का बिखराव होगा, जिससे INDIA गठबंधन की राह मुश्किल हो सकती है। |
लक्ष्य | 2020 के प्रदर्शन (कुछ सीटें) को दोहराते हुए अपनी राष्ट्रीय पहचान मज़बूत करना। | यदि AIMIM कुछ सीटें जीतती है और कई सीटों पर हार-जीत का अंतर पैदा करती है, तो वह 'किंगमेकर' की भूमिका में आ सकती है। |
निष्कर्ष: राजनीतिक गलियारों में AIMIM को 'वोट कटवा' पार्टी कहा जा रहा है, जिसका सीधा नुकसान महागठबंधन (INDIA) को हो सकता है, जबकि NDA को इसका परोक्ष लाभ मिलने की संभावना है।
2. दोनों गठबंधनों में खुली 'खींचतान' और नवीनतम अपडेट
AIMIM के इस कदम के बीच, INDIA और NDA दोनों ही अपने-अपने घर में लगी आग बुझाने और अंतिम रणनीति बनाने में व्यस्त हैं।
A. INDIA गठबंधन: JMM का 'धोखा' और आंतरिक कलह
महागठबंधन (राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और वाम दल) के लिए यह सप्ताह काफी मुश्किलों भरा रहा है:
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) का झटका: JMM ने साफ कर दिया है कि वह गठबंधन से अलग होकर 6 सीटों (चकाई, धमदाहा, कटोरिया आदि) पर अकेले चुनाव लड़ेगी। यह फ़ैसला उन क्षेत्रों में RJD और कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती खड़ी करेगा, जहाँ JMM का अच्छा प्रभाव है।
कांग्रेस-RJD विवाद: कई सीटों पर कांग्रेस और RJD के बीच उम्मीदवारों को लेकर मतभेद जारी हैं। यह आंतरिक खींचतान निचले स्तर पर विद्रोह (बागी उम्मीदवारों) को जन्म दे सकती है।
नवीनतम अपडेट: असंतुष्ट नेताओं को शांत करने के प्रयास जारी हैं, लेकिन कई जगहों पर कांग्रेस और RJD के कार्यकर्ता एक-दूसरे के ख़िलाफ़ आ गए हैं।
B. NDA गठबंधन: LJP की मुश्किलें और असंतुष्टों को साधना
NDA (भारतीय जनता पार्टी, जनता दल-यूनाइटेड और सहयोगी दल) में भी सब ठीक नहीं है:
LJP (रामविलास) को झटका: चिराग पासवान की पार्टी की उम्मीदवार सीमा सिंह का नामांकन मढ़ौरा विधानसभा सीट से रद्द हो गया है, जिसने NDA के भीतर बेचैनी बढ़ा दी है।
BJP-JDU के बीच सामंजस्य: सीटों का बँटवारा लगभग तय हो चुका है, लेकिन कई सीटों पर BJP और JDU के स्थानीय नेताओं के बीच टिकट न मिलने से असंतोष है।
नवीनतम अपडेट: केंद्रीय नेतृत्व लगातार असंतुष्टों से बातचीत कर रहा है और उन्हें शांत करने की कोशिश कर रहा है ताकि नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि से पहले विद्रोह को रोका जा सके।
निष्कर्ष: क्या कहते हैं आंकड़े?
इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए कहा जा सकता है कि बिहार का चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय (Triangular) होता जा रहा है।
INDIA गठबंधन को अपने पारंपरिक वोट बैंक (M-Y) को बचाए रखने की दोहरी चुनौती है—एक तरफ़ AIMIM और दूसरी तरफ़ JMM का अलगाव।
NDA गठबंधन को भी अपने सहयोगियों और असंतुष्ट नेताओं को साधने पर ध्यान केंद्रित करना होगा ताकि जीत के समीकरण न बिगड़ें।
आने वाले दिनों में यह स्पष्ट होगा कि ये राजनीतिक दाँव-पेंच किस पार्टी के लिए कुर्सी तक पहुँचने का रास्ता बनाते हैं और किसके लिए केवल निराशा लेकर आते हैं।