चिकित्सक ने दी मलेरिया बीमारी से बचने के कई आवश्यक निर्देश
मधेपुरा जिलेके चौसा प्रखंड मुख्यालय स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चौसा में स्वास्थ्य कर्मियों ने मलेरिया दिवस मनाया गया। इस दौरान चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों ने लोगो को मलेरिया से संबंधित कई प्रकार की जानकारियां दिए। चिकित्सक राजेश रंजन ने मलेरिया बीमारी से बचने के लिए लोगो को कई आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने ने मलेरिया फैलने,इसकी रोकथाम समेत विभिन्न प्रकार की जानकारी दिए। इस मौके पर स्वास्थ्य प्रबंधक शाहनवाज अहमद अंसारी,लिपिक मनीष कुमार, लैब टेक्नीशियन राजीव रंजन,बी एच् डब्लू श्यामनंदन साह,स्वास्थ्य कर्मी महेंद्र प्रसाद,कार्यपालक सहायक प्रणव कश्यप, मयंक कुमार आदि मौजूद थे।
मलेरिया कैसे फैलता है
जब मलेरिया मच्छर मलेरिया रोगी को काटकर स्वस्थ आदमी को काटता है तो स्वस्थ आदमी में मलेरिया का रोगी हो जाता है। उसे करीब दस दिन बाद बुखार आता है। इस प्रकार मलेरिया एक आदमी से दूसरे आदमी, दूसरे से तीसरे और पूरे गाँव-समाज में फ़ैल जाता है।
मलेरिया का रोकथाम करने का उपाय
डी.डी.टी या किसी अन्य कीटनाशक के छिड़काव के बाद घर में दीवारों को सफेदी या रंग या लिपाई – पुताई न कराएँ।
कुएँ के पानी में 250- 400 ग्राम क्लोरिन मिलाएँ।
खाली गड्ढों में बबूल के पेड़ लगाएं।
नालियाँ साफ रखे जिससे पानी एक जगह न ठहरे।
बरसाती पानी किसी, खाली, गड्ढे, टिन या टायर आदि में न भरने दें।
पानी के बर्त्तन या टंकी आदि को हर हफ्ते में धोते एवं बदलते रहना चाहिए, क्योंकि अंडे से लार्वा बनने में 6 या 7 दिन लगते हैं।
भरे हुए पानी के बांधों या तालाबों में गंबूजिया नामक मछलियाँ पाली जा सकती हैं। क्योंकि ये मच्छरों के अंडों एवं लार्वा को खाती हैं।
पानी को जमीन में न भरने दें।
मच्छर प्राय: दरवाजों की पीछे, झाड़ियों के नीचे या गंदे एवं अंधेरे में पलते हैं। अत: इन जगहों को साफ सुथरा रखना चाहिए।
मलेरिया की दवा की पूरी खुराक लेनी चाहिए, नहीं तो कुछ समय बाद ये पुन: दोबारा हो सकता है।
पानी के भरे गड्ढों में मिट्टी का तेल या जला हुआ काला तेल डालकर मच्छर खत्म किए जा सकते हैं।
घर में पास तुलसी का पेड़ लगाएँ। नीम की पत्तियाँ जलाकर घर में धुआं करें। सोते समय मछरदानी लगाएँ और जरूरत पड़ने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाएँ।कछुआ छाप अगरबत्ती जलाने जैसे उपाय किये जा सकते हैं।
मलेरिया का क्या है लक्षण
कोई भी बुखार मलेरिया हो सकता है। मलेरिया होने पर ज्यादा देर तक बुखार आता है। यह बुखार तीन-चार घंटे तक आता है। मलेरिया में सिर दर्द और उल्टी भी होती है। बुखार उतरने के बाद रोगी कमजोर महसूस करता है।
1. ठंड की स्थिति–मलेरिया अचानक तेज बुखार, जाड़ा देकर कंपकपी के साथ आता है और रोगी को लगता है कि उसे तुरंत कंबल या रजाइयों से ढंका जाए। यह स्थिति 15 मिनट से लेकर एक घंटे तक हो सकती है।
गर्मी की स्थिति- इसमें शरीर का ताप 100 डिग्री फॉरनहाइट से ज्यादा तक बढ़ सकता है। रोगी को अपने शरीर से गर्मी एवं जलन महसूस होती है। इससे अचानक सिर दर्द हो सकता है।
पसीने की स्थिति – बुखार तेज पसीने के छूटने के साथ घटने लगता है। यह स्थिति दो से चार घंटे तक रह सकती है। बुखार प्राय: कुछ निश्चित अवधि के बाद आता हैं। जब भी आप देखें कि किसी व्यक्ति को बुखार ठंड एवं कंपकपी के साथ आया है तो यह आशंका हो सकती है कि उसे मलेरिया हो सकता है। यदि वह व्यक्ति बताता है कि यह क्रिया हर तीसरे या ऐसे ही किसी क्रम से होती है तो यदि संभावाना होती है कि व्यक्ति मलेरिया की प्रबल स्थिति में है।
मलेरिया होने से इन चीजों को नहीं करें:
मलेरिया में जब तेज बुखार होता है तो रोगी का दिमाग स्थिर नहीं रहता और अनाप–शनाप बोलता है, वैसे समय में झाड़-फूँक न करें बल्कि स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता की सहायता लें।
दवाई को बीच में खाना न छोड़ें।
खाली पेट में मलेरिया की दवा न खायें।
बिना खून जाँच कराएँ बार-बार क्लोरोक्विन दवा न खाएँ। ऐसा करने पर मलेरिया बार- बार हो सकता है तथा जानलेवा भी हो सकता है। कभी भी खाली पेट दवा न खाएँ, कुछ खाकर ही दवाई खाएँ।