18 वर्षों से सामुदायिक भवन में संचालित है बुधामा पुलिस कैम्प

जर्जर शौचालय, आयरन युक्त पानी, टपकती छत, रसोईघर विहीन भवन जैसी व्यवस्थाओं के बीच रहने को मजबूर हैं दर्जनभर पुलिसकर्मी
तमाम कुव्यवस्था के बीच लाखों लोगों की सुरक्षा का जिम्मा सौंप दिया गया है इन पुलिसकर्मियों के पास 

दो छोटे-छोटे कमरे में दो पुलिस पदाधिकारी और एक गश्ती वाहन चालक के साथ एक हाॅल में रह रहें हैं दर्जनभर बिहार सैन्य पुलिस के जवान 

खगड़िया, मधेपुरा और सहरसा जिले का है यह सीमावर्ती इलाका 
 उदाकिशुनगंज (मधेपुरा)
 एक ओर सामुदायिक भवन सामान्य आवश्यकता, सामाजिक संगठन, आयोजन, कार्य व सामुदायिक विकास के लिए उपयोग किया जाता है। वहीं दूसरी ओर सामुदायिक भवन का निर्माण के बाद लगातार पुलिस कैम्प संचालित किया जा रहा है। उदाकिशुनगंज थाना अन्तर्गत बुधामा ओपी पिछले 18 वर्षों से सामुदायिक भवन में संचालित है। दरअसल यह इलाका खगड़िया, मधेपुरा और सहरसा जिले का सीमावर्ती क्षेत्र है। यहां अपराधिक घटनाओं पर लगाम लगाना काफी चुनौतीपूर्ण व महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां रात में चलना तो दुर की बात है दिन के समय सड़क पर चलना भी इंसान के लिए मुश्किल हो जाता है। आए दिन चोरी, छिनतई, लूट, हत्या और शराब तस्करी जैसे सैकड़ों उदाहरण हैं। ज्ञात हो कि वर्ष 2002 में अपराधियों ने निर्वाचित बुधामा पंचायत के मुखिया ठाकुर दास की गोली मारकर हत्या रात्री के समय उनके निजी आवास पर कर दी गई थी। मुखिया ठाकुर दास की हत्या के बाद इलाकेभर में अपराध पर लगाम लगाने के उद्देश्य तथा शांति व्यवस्था कायम रखने के मद्देनजर तत्कालीन एसपी के निर्देश पर बुधामा पुलिस कैम्प की व्यवस्था की गई थी।


अब्दुल अहद, मुखिया नयानगर

बुधामा पुलिस कैम्प में रह रहे तमाम पुलिसकर्मियों को हो रही कठिनाइयों को दूर करने के लिए विभागीय अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए। यह काफी निराशाजनक है। इलाका चुनौतीपूर्ण होने के बावजूद बावजूद लाखों लोगों की सुरक्षा का जिम्मा इन पुलिसकर्मियों के पास है। 

 मोटरसाइकिल व अन्य वाहनों के सहारे की जा रही है गश्ती

लघु सिंचाई व विधि मंत्री सह क्षेत्रीय विधायक नरेंद्र नारायण यादव के सफल प्रयास से बुधामा पुलिस कैम्प में जून 2019 से गश्ती वाहन उपलब्ध कराया गया है। सुरक्षा के मद्देनजर सीमावर्ती इलाका चुनौतीपूर्ण होने के बावजूद उपलब्ध कराये गये गश्ती वाहन को कभी वीआईपी की सुरक्षा में तो कभी अन्य कारणों से दुसरे कामों में भेज दिया जाता है। इलाकेभर के लोगों का कहना है कि मक्का फसल के दिनों में अपराधियों की गतिविधि बढ़ जाती है। अपराधिक गतिविधियों पर लगाम लगाने का एक मात्र उपाय सघन पुलिस गश्ती, अपराधियों पर पुलिस की पैनी नजर रखने के साथ-साथ निरंतर वाहन चेकिंग महत्वपूर्ण है। बता दें कि पूर्व में उत्पाद विभाग द्वारा दी गई वाहनों से इलाकेभर में गश्ती की जा रही थी। अब उसे वापस ले लिया गया है। 

कैम्प प्रभारी गंगाधर प्रसाद ने बताया
फिलहाल मोटरसाइकिल व अन्य वाहनों के सहारे इलाकेभर में गश्ती की जा रही है। जो काफी चुनौतीपूर्ण है। बरसात के मौसम में पुलिस गश्ती मुश्किल हो जाता है।
रिपोर्ट तेज़थिंक न्यूज़
विनीत कुमार/ मधेपुरा