स्तूरबा कुष्ठ कॉलनी मझौलिया के रोगियों की लॉक डाउन में बड़ी बुरी हालत है।भूख से तड़पते इनके बच्चों की दशा बड़ी दयनीय है।लॉक डाउन में इनका भिक्षाटन बंद होने से इनके कोढ़ में खाज उत्पन्न कर दिया है।एक शाम चूल्हा जलता है,सुबह ठप्प रहता है।इन दिनों इन कुष्ठ रोगियों को किसी मसीहा की तलाश है।बीडीओ चंन्दन कुमार ने भूख से बिलबिलाते कुष्ठ रोगियों में पांच पांच किलो चावल, आटा और आलू का वितरण किया।यह वितरण इन कुष्ठ रोगियों में ऊंट के मुंह मे जीरा साबित हो रहा है।सच्चाई यह है कि अनदेखी के कारण कुष्ठ रोगियों तक सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा हैं।
बताते चले कि बर्तमान में यहाँ सात परिवार के कुष्ठ रोगी रह रहे है।बच्चे बूढ़े, और महिलाएं मिलकर लगभग 25 रोगी होंगे।जिनमे चार रोगी बैशाखी के सहारे अपनी जिंदगी काट रहे है।वर्ष 1990 से यहां बसे कुष्ठ रोगी छोटेलाल सहनी बताता है कि मुख्य मंत्री के सात निश्चय योजना का लाभ अबतक उनके कस्तूरबा कोलनी तक नही पहुंचा है।उसने बताया कि नल जल योजना यहां अर्थहीन है।पीने के पानी के लिये पानी टंकी से कनेशन कराने के लिये वह अर्दली से लेकर हाकिम तक पहुंचा, परन्तु उसकी एक नही सुनी गयी।गौरतलब बात यह है कि महज आधा किलोमीटर की दूरी पर प्रखंड प्रमुख सुनैना देवी का आवास है।वहां तक नल का पाइप बिछा है, परन्तु कस्तूरबा कोलनी में अछूता है।पीने का पानी के लिये दो चापाकल है,जिसमे से एक वर्षों से खराब है।अन्य कुष्ठ रोगियों में परदेशी राम, दसरथ साह, लालबाबू साह, शिवनंदन राम ,कासिम देवान बताते है कोई स्वेम सेवी संस्था के लोग यहां नही आते है।कुष्ठ कोलनी में अबतक किसी कीटनाशक का छिड़काव नही किया गया।लोगों को मास्क लगाते देख इनके बच्चें तरस जाते है।महिला कुष्ठ रोगी आन्हो देवी,लक्ष्मीना देवी रिंकी देवी,कलावती देवी बताती है कि उन्हें जन धन योजना का लाभ नहीं मिलता है।उनके खातों में पीएम द्वारा प्रेषित जन धन योजना की राशि नही आयी है।कोरोना बीमारी की चर्चा करते हुए बताती है कि कोई स्वास्थ्य कर्मी वहां कभी नही आयी।कुष्ठ आश्रम के संस्थापक सोमेश्वर दुबे ने बताया कि जब तक लॉक डाउन नही टूटता है तबतक इनके खाने पीने की व्यवस्था प्रशासन को करनी चाहिये।पेट की क्षुधा शांत करने के लिये अगर ये कुष्ठ रोगी भिक्षाटन के लिये निकल पड़ेंगे तो कोरोना का संक्रमण बढ़ने की संभावना प्रबल हो जायेगी।
रिपोर्ट तेज़थिंक न्यूज़
चन्द्र भूषण शांडिल्य/बगहा चंपारण