लाॅक डाउन के कारण 15 वर्श से जमी जमायी दुकानदारी को छोड कर लुधियाना से बगहा आना पडा। और जिन हाथों को हसिया और खुरपी पकडे डेढ दषक से अधिक हो गये थे। उन हाथो को गेहूं काटना पड रहा है। बगहा दो प्रखंड के पंचायत राज खरहट त्रिभौनी के ग्राम त्रिभौनी का हरिशंकर प्रसाद करीब 15 साल पहले गांव छोड़कर लुधियाना चला गया था। जहां लुधयाना के दोराहे शहर में अपना पूरे परिवार के साथ जीवन व्यतीत कर रहा था। वहां पर उसने एक चाय की दुकान खोलकर उस चाय दुकान के सहारे अपने परिवार का भरण पोषण षुरू कर दिया था। और 15 साल बीत जाने के बाद भी उन्हें अपनी गांव की याद नहीं आ रही थी। लेकिन लॉकडाउन के कारण लुधियाना जिला के दोराहे शहर की फैक्ट्री, बंद कर दी गई है। जिससे लोग बाहर नही निकल रहे थे। जिसके कारण चाय दुकान बंद कर दी गई हैं। वहां के लोगो ने घर से निकलना बंद कर दिया। जिसके कारण चाय की बिक्री ठप हो गई । और भुखमरी के कगार पर आ गए। उसके बाद उनको अपना गांव याद किया कि वही रहकर अपना जीवन बिताएंगे तो मोटरसाइकिल पर तैयार झाझा के सहारे लुधियाना से 9 दिन मे अपने गांव त्रिभौनी पहुंचा। हरिशंकर प्रसाद ने बताया कि वह लुधियाना से चला तो रास्ते में काफी समस्या झेलनी पड़ी। बॉर्डर पर या प्रशासन के पकड़े जाने पर वे लोग साक्ष्य और समस्या बताते जिसके के बाद वहां के प्रशासन द्वारा छोड़ दिया जाता था। जहां रात होती थी वहां अपने परिवार के साथ रात बिता कर पुनः फिर अपने मोटरसाइकिल पर बने झाझा पर सवार होकर चल देते थे जो लुधियाना से यहां आने में उन लोगो को 9 दिन लगा। पंचायत के मुखिया गीता देवी व मुखिया प्रतिनिधि अशोक राम ने बताया हरिशंकर प्रसाद व उनकी पत्नी तथा दो बच्चो के आने पर स्वास्थ्य केंद्र भैरोगंज को सूचना दी गयी। क्वारंटीन अवधि बीत जाने के बाद खाने के लिए गेंहू काटकर जीविका चला रहे हैं। हरि शंकर ने बताया कि कोरोना ने दुकानदार को मजदूर बना दिया।
रिपोर्ट तेज़थिंक न्यूज़
चन्द्र भूषण शांडिल्य/बगहा चंपारण