💥 बिहार चुनाव 2025: रोजगार का वादा या विकास का दावा? NDA और महागठबंधन के घोषणापत्रों का महा-विश्लेषण

 

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 अब चरम पर है, और इस बार का चुनाव सिर्फ़ नेताओं के भाषणों तक सीमित नहीं है, बल्कि घोषणापत्रों में किए गए वादे सीधे जनता के सामने हैं। बेरोजगारी, महिला सशक्तिकरण और सुशासन इस चुनाव के सबसे बड़े 'गेम चेंजर' बनकर उभरे हैं। जहाँ एक ओर महागठबंधन ने 'हर परिवार को सरकारी नौकरी' जैसे क्रांतिकारी वादों से 'तेजस्वी प्रण' नाम का अपना दस्तावेज जारी किया है, वहीं NDA अपने 'विकास के ट्रैक रिकॉर्ड' और केंद्र की नीतियों पर भरोसा कर रही है।



आइए, दोनों गठबंधनों के मुख्य वादों का गहराई से विश्लेषण करें और जानें कि बिहार की जनता इस बार किसे चुनेगी: 'बदलाव' या 'निरंतरता'?


1. सबसे बड़ा मुद्दा: रोजगार और नौकरी का 'महा-संकल्प'

युवाओं के बीच सबसे ज्यादा चर्चा का विषय है रोजगार। दोनों गठबंधनों ने इस पर बड़े वादे किए हैं, लेकिन उनके तरीके अलग हैं।

चुनावी वादामहागठबंधन ('तेजस्वी प्रण')NDA (नीतीश/BJP)
सरकारी नौकरी* हर परिवार से एक सरकारी नौकरी देने के लिए 20 दिन के भीतर अधिनियम लाने का वादा। * 20 महीने के भीतर नौकरी देने की प्रक्रिया शुरू करने का संकल्प।* लगभग 1 करोड़ युवाओं को नौकरी/रोजगार देने का लक्ष्य निर्धारित। * बेरोजगार ग्रेजुएट युवाओं को ₹1,000 प्रति माह (दो साल तक) देने का वादा।
संविदाकर्मीसभी संविदा/आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को स्थायी करने का वादा।इस पर स्पष्ट और बड़ा वादा अभी तक सामने नहीं आया है (NDA मुख्य रूप से विकास कार्यों पर ज़ोर दे रही है)।
महिलाओं के लिएजीविका दीदियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा और ₹30,000 मासिक वेतनमुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना (अपने रोजगार के लिए ₹2 लाख तक की सहायता)।

विश्लेषण: महागठबंधन का 'हर परिवार को नौकरी' का वादा बेहद बड़ा और जोखिम भरा है, लेकिन युवाओं में इसका आकर्षण अधिक है। वहीं, NDA का फोकस सरकारी नौकरी के साथ-साथ रोजगार सृजन (self-employment) पर भी है।


2. आर्थिक वादे: पेंशन, बिजली और महिलाओं का मान

रोजगार के अलावा, सामाजिक और आर्थिक वादे भी मतदाताओं को प्रभावित कर रहे हैं:

क्षेत्रमहागठबंधन ('तेजस्वी प्रण')NDA की योजनाएँ/वादे
पुरानी पेंशनपुरानी पेंशन योजना (OPS) को लागू करने का वादा।इस पर कोई स्पष्ट घोषणा नहीं।
बिजलीहर परिवार को 200 यूनिट तक बिजली मुफ़्तघरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक बिजली मुफ़्त।
सामाजिक सुरक्षाबुजुर्गों की पेंशन राशि बढ़ाकर ₹3,000 करने का वादा।महिलाओं के लिए 'माई-बहिन मान योजना' के तहत ₹2,500 प्रतिमाह की आर्थिक सहायता (सालाना ₹30,000) देने का वादा।

3. रैलियों का शोर और नेताओं के तीखे बयान

चुनावी वादों के अलावा, रैलियों में नेताओं के बयान चुनावी माहौल को गर्म कर रहे हैं:

  • NDA का आक्रामक रुख: PM मोदी, CM योगी और अन्य वरिष्ठ नेता लगातार 'जंगलराज' और परिवारवाद पर हमलावर हैं। उनका मुख्य फोकस सुशासन, कानून व्यवस्था और केंद्र से मिल रहे विकास कार्यों को गिनाने पर है।

  • महागठबंधन का पलटवार: तेजस्वी यादव अपनी रैलियों में सीधे 'बेरोजगारी' को मुद्दा बना रहे हैं और आर्थिक असमानता पर सवाल उठा रहे हैं। राहुल गांधी के साथ संयुक्त रैलियों में उन्होंने संविधान और आरक्षण जैसे बड़े विषयों पर भी बात की है।


निष्कर्ष: बिहार में किसकी 'नीति' पर भरोसा करेगी जनता?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 एक निर्णायक मोड़ पर है। यह चुनाव दो अलग विजन के बीच की लड़ाई है:

  • महागठबंधन: तेज, लेकिन जोखिम भरे वादे (10 लाख सरकारी नौकरियां, OPS आदि) के साथ 'बदलाव' का आह्वान।

  • NDA: विकास का सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड और डबल इंजन (केंद्र+राज्य) सरकार के निरंतरता का दावा।

यह चुनाव 'भावनात्मक' नारों से हटकर 'आर्थिक' वादों पर केंद्रित हो गया है। बिहार की जनता को यह तय करना है कि वह 'तेजस्वी प्रण' में किए गए बड़े संकल्पों पर भरोसा करेगी, या NDA के वर्षों के 'सुशासन' और विकास के दावों को चुनेगी।