नीतीश कुमार और हिजाब विवाद: क्या वाकई महिला शिक्षिका ने नौकरी छोड़ दी और बिहार से चली गईं?

 बिहार की राजनीति में इन दिनों एक नया विवाद गरमाया हुआ है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा एक महिला शिक्षिका का 'हिजाब' (स्कार्फ) खींचने की घटना ने न केवल राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि अब खबर आ रही है कि पीड़ित महिला ने बिहार छोड़ दिया है और वह सरकारी नौकरी जॉइन नहीं करेंगी।



आइए जानते हैं इस पूरी घटना की सच्चाई और इसके पीछे के मुख्य कारण।

क्या थी पूरी घटना?

नवंबर 2024 में पटना के गांधी मैदान में नवनियुक्त शिक्षकों को नियुक्ति पत्र (Appointment Letter) बांटने का समारोह चल रहा था। इसी दौरान मंच पर एक नवनियुक्त शिक्षिका नियुक्ति पत्र लेने पहुंचीं। फोटो खिंचवाते समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिला के सिर पर मौजूद स्कार्फ को हाथ से पकड़कर पीछे की ओर खींचा।

सोशल मीडिया पर यह वीडियो देखते ही देखते वायरल हो गया। विपक्ष ने इसे महिला की गरिमा और धार्मिक पहचान के साथ खिलवाड़ बताया, जबकि मुख्यमंत्री के समर्थकों ने इसे 'गार्जियन वाला स्नेह' करार दिया।

महिला शिक्षिका का बड़ा फैसला: "अब बिहार में काम नहीं करूंगी"

ताज़ा रिपोर्ट्स के अनुसार, वह महिला शिक्षिका (जो संभवतः उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं) इस घटना से बेहद आहत हैं। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने अपनी पीड़ा व्यक्त की और कुछ बड़े फैसले लिए हैं:

  • नौकरी जॉइन करने से इनकार: महिला ने स्पष्ट किया है कि वह अब बिहार सरकार की इस शिक्षक भर्ती में जॉइन नहीं करेंगी।

  • बिहार छोड़ने का निर्णय: खबरों के मुताबिक, वह वापस अपने राज्य लौट गई हैं। उनका कहना है कि जिस राज्य के मुखिया का व्यवहार ऐसा हो, वहां वह खुद को सुरक्षित या सम्मानित महसूस नहीं कर रही हैं।

  • मानसिक तनाव: महिला ने बताया कि इस घटना के बाद वह और उनका परिवार काफी मानसिक दबाव और असहजता महसूस कर रहे हैं।


सियासी घमासान: आरोप-प्रत्यारोप का दौर

इस मुद्दे ने बिहार की राजनीति में ध्रुवीकरण की स्थिति पैदा कर दी है:

  1. विपक्ष का हमला: आरजेडी (RJD) और अन्य विपक्षी नेताओं ने इसे नीतीश कुमार की 'बौखलाहट' और 'अमर्यादित व्यवहार' बताया है। उनका तर्क है कि किसी भी महिला की अनुमति के बिना उसके वस्त्रों या सिर के स्कार्फ को छूना गलत है।

  2. जेडीयू का बचाव: जेडीयू नेताओं का कहना है कि नीतीश कुमार वरिष्ठ नेता हैं और उन्होंने एक बुजुर्ग या अभिभावक के तौर पर चेहरे को स्पष्ट दिखाने के लिए स्कार्फ ठीक किया था। इसे गलत इरादे से नहीं देखा जाना चाहिए।

निष्कर्ष: क्या यह केवल राजनीति है या मर्यादा का उल्लंघन?

यह पहली बार नहीं है जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने बयानों या व्यवहार को लेकर चर्चा में रहे हों। हालांकि, एक नवनियुक्त शिक्षिका का नौकरी छोड़कर चले जाना राज्य की छवि और प्रशासन पर सवाल खड़े करता है। अगर कोई शिक्षक अपने कार्यस्थल पर सुरक्षित और सम्मानित महसूस नहीं करता, तो यह व्यवस्था के लिए चिंता का विषय है।


आपकी क्या राय है? क्या मुख्यमंत्री का यह व्यवहार महज एक भूल थी या इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए? नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी राय जरूर साझा करें।