खास लोगो तक ही सिमट कर रह जाएगा आमपछिया हवा ने बढ़ाई आम व्यवसायियों की परेशानी


बाजार बंद रहने से मंजरो पर नहीं हो पा रहा कीटनाशक का छिड़काव
बागों में मधुवा के कारण गिर रहे आम के मंजर
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लगातार चल रही पछिया हवा किसानों और आम व्यवसायियों के लिए परेशानी का सबब बन चुकी है। बाग में आम के मंजर दिन-ब-दिन मधुवा रोग के कारण कम होते जा रहे हैं।कम होते मंजर को देखकर आम व्यवसाई व बाग मालिक हलकान हो रहे हैं । लेकिन आलम यह है कि वह देखने के सिवा कुछ नहीं कर सकते। मधुवा रोग से बचाव के लिए कीटनाशक की उपलब्धता नहीं होने के कारण उन लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आम व्यवसाई मोहम्मद साजिद, मोहम्मद रब्बानी ,सुरेश प्रसाद, महेंद्र कुमार आदि ने बताया कि आम के पेड़ों में पिछले साल के बनिस्पत इस वर्ष अच्छे मंजर आए थे लेकिन लगातार चल रही पछिया हवा से मंदिरों में मधुआ का प्रकोप बढ़ चला है । रोज ही मंजर मधुआ और पछीय हवा के संयुक्त प्रभाव से लगातार गिर रहे हैं और वह मधुवा से बचाव के लिए कुछ कर भी नहीं पा रहे हैं। किसान अमरेंद्र कुमार ने बताया कि मधवा रोग होने पर कीटनाशक का छिड़काव किया जाता है। बाजार बंद होने के कारण कोई भी कीटनाशक की दुकान नहीं खुल रही है। नतीजतन कीटनाशक नहीं मिल पा रहा है। बागों में कीटनाशकों का छिड़काव नहीं होने के कारण मधु आ का प्रकोप दिन-ब-दिन बढ़ता चला जा रहा है । अगर शीघ्र ही पेड़ों पर कीटनाशक का छिड़काव नहीं किया गया तो इस साल आम की पैदावार न के बराबर होगी। उन्होंने बताया कि मधुआ से बचाव के लिए राख का छिड़काव किया जा रहा है लेकिन मजदूर पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पा रहे हैं। जिसके चलते समुचित मात्रा में राख का छिड़काव भी नहीं हो पा रहा है। ऐसे में किसानों ने राज्य व केंद्र सरकारों से आम की पैदावार को प्रभावित होने से बचाने के लिए कीटनाशक दवा दुकानों को खुलवाने की मांग भी रखी है  ताकि आम की पैदावार को बचाया जा सके। बनकटवा निवासी अशोक कुमार का कहना है कि पिछले साल 30 वर्ष आम के मंजर ठीक-ठाक है लेकिन देखभाल ठीक ठाक ठीक ढंग से नहीं हो पा रही जिस कारण परेशानी हो रही है।
आम लोगों की पहुंच से दूर हो जाएगा आम
आम एक ऐसा शब्द है जिससे सर्वहारा वर्ग की पहचान होती है। लेकिन इस वर्ष आम का उत्पादन प्रभावित होता देख स्थानीय बुद्धिजीवियों का मानना है कि घर-घर में खाए जाने वाला फलों का राजा आम आम लोगों की पहुंच से दूर हो जाएगा। और सिर्फ खास लोगों तक ही आम पहुंच बना पाएगा। क्योंकि आम की पैदावार इस वर्ष कम होने की उम्मीद है और जैसे ही पैदावार कम होगी। उसका मूल्य अधिक होगा मूल्य अधिक होने के कारण आम वर्ग के लोग आम की खरीदारी नहीं कर पाएंगे।नतीजतन प्रत्येक घर में आम नहीं मिलेगा। अगर समय से बागों में आम के मंजर को बचाने की कवायद नहीं शुरू की गई तो बचे मंजर भी नष्ट हो जाएंगे।

लीची और कटहल पर भी पड़ेगा असर
लगातार बह रही पछिया हवा का लीची की पैदावार और कटहल के फसल पर असर पड़ेगा। इसलिए कृषि विभाग के अधिकारियों व कर्मियों को इस दिशा में पहल करने की आवश्यकता है। अशोक कुमार, मोहन प्रसाद ,राजेश कुमार ,सुरेश प्रसाद , सुरेंद्र साहनी आदि ने बताया कि लीची के मंजर भी पछिया हवा के कारण प्रभावित हो रहे हैं।
रिपोर्ट तेज़थिंक न्यूज़
चन्द्र भूषण शांडिल्य/बगहा चंपारण